Friday, July 21, 2017

Chanakya Neeti : Part 6 (चाणक्य नीति : भाग 6)


Everyday Learn New Things : श्रवण अर्थात सुनने का जीवन में बहुत महत्व है लेकिन उसकी भी एक विधि है | गुरु के मुख से ही शास्त्र का श्रवण अर्थात सुनना चाहिए | गुरु विद्वान और अनुभवी होता है इसलिए उसके सुने वचनों को जीवन में धारण करने से भटकाव समाप्त होता है निश्चित दिशा मिलती है |
आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य जीवन बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह अपने जीवन को शुभ कार्यों की ओर लगाएं | दूसरों की निंदा आदि करना छोड़ दें | वेद आदि शास्त्रों के पढ़ने और शुभ कार्य करने से मनुष्य इस संसार में यश को प्राप्त होता है | चाणक्य कहते हैं जिस मनुष्य के पास धन है सभी उसके भाई बंधु मित्र बनने को तैयार हो जाते हैं और उसे ही श्रेष्ठ पुरुष मान लिया जाता है | इस संसार में समय ही ऐसी वस्तु है जिसे टाला नहीं जा सकता | चाणक्य के अनुसार जब मनुष्य अपने स्वार्थ में अंधा हो जाता है तो उसे अच्छे बुरे में अंतर दिखाई नहीं देता | मनुष्य का बंधन और मुक्ति उसके  द्वारा किए जानेवाले कर्मों पर ही आश्रित होते हैं क्योंकि वह जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल भोगना पड़ता है |



आचार्य के अनुसार प्रजा के कार्यों का फल राजा को, पत्नी के कार्यों का फल पति को तथा पिता द्वारा छोड़ा गया ऋण पुत्रो को चुकाना पड़ता है | व्यभिचारिणी माता और मुर्ख पुत्र मनुष्य के लिए शत्रु के समान होते हैं | चाणक्य सामान्य जीवन में आने वाली समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि किसी का लोभी व्यक्ति से पाला पड़ जाए तो उसे धन देकर, विद्वान को अपने मधुर दुर्व्यवहार से, मुर्ख तथा दुष्ट को उसके अनुकूल व्यवहार से वश में किया जा सकता है | ऐसे राज्य में रहना उचित नहीं जहां सुव्यवस्था ना हो | इसी प्रकार दूसरे दुष्ट से मित्रता करने के बजाए मित्र रहित हो रहकर जीवन गुजार देना ज्यादा हितकर है |
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चाणक्य का कहना है कि शेर से एक गुण सीखना चाहिए किसी भी कार्य को करते समय उसमे अपनी पूरी शक्ति लगाना | बगुला मछली पकड़ने के लिए आंखे बंद करके एक टांग पर खड़ा होता है यह इंद्रियों को वश में करने का उदाहरण है यह बुगले से सीखने योग्य गुण हैं | प्रयास करना महत्वपूर्ण है इसलिए उसे करने से पहले अपनी क्षमता को परख ले | बगुला यह निश्चित हो जाने के बाद ही कि अब शिकार बच नहीं सकता अपना प्रयास करता है | इसी प्रकार मुर्गे से चार बातें सीखनी चाहिए मनुष्य को ब्रह्ममुहुर्त में उठना, झगड़े का संकट उत्पन्न होने पर पीछे ना हटना और जो कुछ भी प्राप्त हो उसे अपने भाई बंधु में बांट कर ही उपयोग में लाना | इसी प्रकार कौवे में भी 5 गुण होते हैं छिपकर मैथुन करना, हटी होना,  समय-समय पर वस्तुओं को इकट्ठा करना, हमेशा चौकन्ना रहना तथा किसी पर विश्वास नहीं करना | कुत्ते में बहुत अधिक खाने की शक्ति होती है परंतु जब उसे बहुत कम भोजन मिलता है तब भी वह उसी में संतोष कर लेता है वह एकदम गहरी नींद में सो जाता है परंतु अत्यंत सतर्क रहता है और ज़रा सी आहाट होने पर ही जग उठता है उसे अपने मालिक से प्रेम होता है और समय पड़ने पर वह वीरता पूर्वक शत्रु से लड़ता भी है | इसी प्रकार गधा अत्यंत थकान होने पर भी अपने काम में लगा रहता है उसे सर्दी गर्मी आदि किसी बात का कष्ट नहीं होता और अपने जीवन में पूर्ण रुप से संतुष्ट रहता है |
चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति इन गुणों को धारण कर लेता है उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती ही है सफलता की कामना करने वाले को चाहिए कि वह इन गुणों को अपने जीवन में विशेष स्थान दें | 

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