Monday, July 3, 2017

Chanakya Neeti : Part 2 (चाणक्य नीति : भाग 2)


इस अध्याय में यह बताया गया है कि कौन सा परिवार सुखी रहता है | सुख उसी परिवार को प्राप्त होता है जहां सब एक दूसरे का सम्मान करते हैं एक दूसरे में श्रद्धा रखते हैं अर्थात पुत्र को पिता और पिता को पुत्र का ध्यान रखना चाहिए |



यह संसार बड़ा विचित्र है कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सामने तो मीठी बातें करते हैं परंतु पीठ पीछे बुराइयां करते हैं ऐसे लोगों से बचना चाहिए चाणक्य ने तो यहां तक कहा है कि मन से सोची हुई बात को किसी के सामने बोलकर प्रकट नहीं करना चाहिए अर्थार्थ अपना रहस्य अपने मित्र को भी नहीं बताना चाहिए | मूर्खता तो कष्टदायक होती ही है दूसरे के घर में आश्रित होकर रहना भी भारी दुख देने वाला होता है | उसके साथ यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि श्रेष्ठ और उत्तम वस्तुएं तथा सज्जन लोग सब स्थानों  पर प्राप्त नहीं होते |

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चाणक्य ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि माता-पिता को चाहिए कि वह अपनी संतान को गुणवान बनाएं, उनका ध्यान रखें और उन्हें बिगड़ने ना दें | आचार्य कहते हैं कि व्यक्ति को चाहिए कि वह अपना समय सार्थक बनाएं, अच्छे कार्य करें इसके साथ उनका यह भी कहना है कि सब लोगों को अपना कार्य अर्थात कर्तव्य पूरा करना चाहिए |

कोटिल्य ने मनुष्य को बार-बार सचेत किया है कि उसे वास्तविकता समझनी चाहिए गफलत में नहीं रहना चाहिए उसे यह बात अच्छी तरह पता होनी चाहिए कि वेश्या का प्रेम एक धोखा है इसलिए उसे इस प्रकार की स्त्रियों तथा दुष्ट पुरुषों से बचना चाहिए उसे चाहिए कि वह प्रेम और मित्रता अपने बराबर वालों से ही रखे |

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