Saturday, July 1, 2017

Chanakya Neeti : Part 1 (चाणक्य नीति : भाग 1)




भारत की परंपरा रही है कि किसी भी शुभ या अच्छे कार्य को शुरू करने से पहले देवी देवताओं या प्रभु का सुमिरन किया जाए ताकि वह कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो |

चाणक्य नीति का प्रमुख उद्देश्य यह जानना है कि कौन सा कार्य उचित है कौन सा कार्य अनुचित |
चाणक्य का कहना है कि मेरे द्वारा लिखे गए नीतिशास्त्र को पढ़कर लोग अपने कर्तव्यों और अकर्तव्यों का भली प्रकार से ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे | 




सबसे पहले चाणक्य ने संगति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया है कि दुष्ट लोगों की संगति करने से बुद्धिमान मनुष्य को दुख उठाने पड़ते हैं | चाणक्य ने मनुष्य के जीवन में धन के महत्व को बताया है | चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति को संकट के समय के लिए धन का संचय करना चाहिए उस धन से अपने बाल बच्चों और स्त्री की रक्षा करनी चाहिए उसके साथ उन्होंने यह भी कहा है कि व्यक्ति को अपनी रक्षा सर्वोपरि करनी चाहिए | जिनके पास धन है वह व्यक्ति  किसी भी आपत्ति का सामना धन के द्वारा कर सकते हैं | परंतु यह बात मनुष्य को अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि लक्ष्मी चंचल है वह तभी तक टीकी रहती है जब तक उसका सदुपयोग किया जाता है लक्ष्मी का दुरुपयोग करते ही लक्ष्मी चलती बनती है |


चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति को उसी स्थान पर रहना चाहिए जहां उसका मान-सम्मान हो, जहां उसके भाई बंधु हो, आजीविका के साधन हो | इसी संबंध में वह आगे कहते हैं कि जहां धनवान, वेद शास्त्रों को जानने वाला विद्वान ब्राह्मण, राजा अथवा शासन व्यवस्था, नदी और वेद आदि ना हो वहां भी नहीं रहना चाहिए |  नौकरों की कार्यकुशलता का पता भी तभी चलता है जब उन्हें कोई कार्य करने के लिए दिया जाता है | अपने संबंधियों और मित्रों की परीक्षा उस समय होती है जब स्वयं पर कोई आपत्ति आती है | गृहस्त का सबसे बड़ा सहारा उसकी स्त्री होती है परंतु स्त्री की वास्तविकता भी उसी समय समझ में आती है जब व्यक्ति पूरी तरह धनहीन हो जाता है |


चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को अधिक लालच में नहीं पड़ना चाहिए | उसे वही कार्य करना चाहिए जिसके संबंध में उसे पूरा ज्ञान हो | जिस कार्य का ज्ञान मनुष्य को ना हो वह कार्य मनुष्य को नहीं करना चाहिए | चाणक्य का कहना है कि यदि आप ऐसे व्यवसाइयों का जीवन देखे | जिन्होंने अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों को छुआ है तो आप पाएंगे कि उन्होंने अपने काम को समझने के लिए किसी दूसरे अनुभवी व्यक्ति के नीचे काम किया है | किताबें और व्यवसायिक जानकारी में जमीन आसमान का अंतर होता है |


विवाह के संदर्भ में चाणक्य का कहना है कि नीच कुल में उत्पन्न कन्या भी यदि अच्छे गुणों से युक्त हैं तो उससे विवाह करने में कोई हानि नहीं है |

जिन पर विश्वास नहीं करना चाहिए उनके बारे में चाणक्य का कथन है कि  सिंह और बाघ आदि तेज पंजो वाले जानवरों से दूर रहना चाहिए | ऐसी नदियों के आस पास भी नहीं रहना चाहिए जिनके किनारे कच्चे हो और जो बरसात आदि के दिनों में लंबे चौड़े मैदान में फैल जाती हो | इसी प्रकार लंबे सींगो वाले सांड आदि पशुओं से अपना बचाव रखना चाहिए | जिनके पास कोई हथियार है उनका भी कभी विश्वास नहीं करना चाहिए |

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