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उस का साहस देखकर ग्वाला मान गया | उसने दूध के दो डिब्बे लटका दिए | उनको लेकर 4 किलोमीटर दूर पैदल शहर में बेचने ले गया | उसका सारा दूध निकल गया |उसका उत्साह देखकर और लोग भी उसके ग्राहक हो गए | वह एक दिन में दो फेरे लगाने लगा | आमदनी बढ़ती गई उसने पैसा जोड़कर एक भैंस खरीद ली | अपनी भैंस का दूध बेचना शुरु कर दिया | उसकी पत्नी भी सहायता करने लगी | वह दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाता गया | अच्छी खासी डेरी बन गई | देखते देखते उसकी खूब आमदनी हो गई | उसने अपना मकान बना लिया | वह सुखी हो गया | उसके भाइयों की हालत खराब हो गई | तब वह उनके परिवारों का भी पालन पोषण करने लगा | उसने अपना जीवन सुखमय बना लिया | बिना हाथों के वह एक सफल सुखी व्यक्ति बन गया | जब बिना हाथ वाला इतनी प्रगति कर सकता है तो आप के तो दोनों हाथ सही सलामत हैं आप उससे ज्यादा ही प्रगति कर सकते हैं आप नहीं कर पा रहे हैं तो फिर इसमें दोष किसका है |
इस हाथ कटे ने अपने आप को पहचान लिया था | इस तरह वह आगे बढ़ गया |आपने अपनी गुप्त शक्तियों को नहीं पहचाना है | आप अपनी शक्तियों को ना पहचान पाने के कारण जीवन के महान कार्यों से वंचित रह जाते हैं | आपको क्या मालूम कि आपके भीतर गुणों विशेषताओं या योग्यताओं का भंडार भरा पड़ा है | अपनी शक्तियों और वास्तविक रुप स्वरुप को ना पहचान कर आप कभी भी अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाते | अंधकार का पर्दा हमारे सामने बराबर पड़ा रहता है | जब तक कोलंबस अमेरिका नहीं पहुंचा था तब तक वहां के लोगों को इस बात का एहसास ना था कि एक दुनिया और है | इसी प्रकार जब तक हमारे ज्ञान का कोलंबस आपके अंत करण के अमेरिका तक नहीं पहुंचता है तब आपको इस बात का एहसास नहीं ना होगा कि एक दुनिया और है |
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इसलिए अपने अंदर झांक कर अपनी आत्मिक शक्ति को पहचाने और अपनी आत्मिक शक्ति को पहचान कर | अपने उस कार्य में लग जाए जिस कार्य में आप सफल होना चाहते हैं सफलता आपके कदमों को चूम लेगी |
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