Tuesday, July 18, 2017

Inspirational Thoughts In Hindi


एक बहुत ही रोचक लोककथा आपको बताता हूं | किसी जंगल में एक शेर का जोड़ा था | समय आने पर शेरनी ने एक बच्चा जन्मा | यह बहुत छोटा था उसके मां-बाप शिकार पर गए थे | आने में देर हो गई | वह भूख से बिलबिला उठा | खाने की तलाश में वह बाहर निकला | खाना तो ना मिला पर एक भेड़ मिल गई उस भेड़ का बच्चा मर गया था शेर के बच्चे को सामने देख कर उसे अपना ही बच्चा समझ दूध पिलाने लगी शेर का बच्चा भूखा था दूध के स्वाद में फर्क होने के बावजूद भूखा होने के कारण दूध पी गया और उस भेड़ को अपनी मां समझकर साथ चला गया | वह शेर का बच्चा अब भेड़ों के झुंड में रहने लगा एकदम भेड़ के समान डरपोक और सीधा सादा बन गया उसको अपनी शक्ति का ज्ञान ना था कुछ समय बाद एक शेर की गर्जना उसे सुनाई पड़ी वह भो चक्का रह गया उसने भी गर्जना चाहा और जैसे ही वह गरजा | सभी भेड़े  भाग खड़ी हुई वह गरजता हुआ शेर के पास चला गया शेर उसे देखकर दुम दबाकर खिसक गया उसे तब अपनी शक्ति का ज्ञान आया वह फिर शेर बन गया |


हममें से बहुत से लोग अपने जीवन में शेर के समान हैं पर अपनी शक्ति नहीं पहचान पाने के कारण भेड़ों के समूह में रहने लगे हैं और शेर के समान शक्ति रखते हुए भी भेड़ों के समान अपना आचरण बना रखा है हम अपनी वास्तविक शक्ति को भूल बैठे हैं |

प्रत्येक व्यक्ति में शेर के समान शक्ति होती है इस शक्ति को ना पहचाने यह बात अलग है पर शक्ति सब में होती है ठोकर खाने पर प्रत्येक व्यक्ति का रूप एक बार फिर जाग उठता है अपनी महत्ता का ज्ञान होने पर वह शेर के समान दहाड़ने लगता है जब उसे यह पता चलता है कि यह दिव्य शक्ति तो उसके पास भी है तब वह अपनी क्रिया का प्रतिशोध लेता है अपनी ठोकर को संभव में बदल डालता है उसे अपने भीतर एक देवी बल का अनुभव होने लगता है और तब वह प्रत्येक कार्य को करने के लिए तैयार हो जाता है उसके तन मन की सारी निर्बलता दूर हो जाती है तब वह वास्तव में शेर के समान एक पुरुष बन जाता है |

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